UAE: भारत के उत्तर प्रदेश की शहजादी खान, जो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की जेल में बंद थीं, उन्हें फांसी की सजा दे दी गई। उनकी मां-बाप ने बेटी को बचाने की आखिरी कोशिश में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। विदेश मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि शहजादी को 15 फरवरी को ही फांसी दी जा चुकी थी और 5 मार्च को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पिता की गुहार और कोर्ट की सुनवाई
शहजादी के पिता शब्बीर खान ने अपनी बेटी को बचाने के लिए पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने विदेश मंत्रालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने और उनकी बेटी को न्याय दिलाने की अपील की थी। कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, जहां सरकारी वकील ने बताया कि मामला अब खत्म हो चुका है, क्योंकि फांसी पहले ही दी जा चुकी है।
कैसे फंसी शहजादी खान?
33 साल की शहजादी 2021 में वीजा लेकर अबू धाबी गई थीं। 2022 में उन्हें एक परिवार में नवजात बच्चे की देखभाल का काम मिला। लेकिन दिसंबर 2022 में उस बच्चे की मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम की सिफारिश के बावजूद, बच्चे के माता-पिता ने जांच से इनकार कर दिया और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए। फिर अचानक दो महीने बाद एक वीडियो सामने आया, जिसमें शहजादी को हत्या स्वीकार करते हुए दिखाया गया। फरवरी 2023 में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और जुलाई 2023 में उन्हें मौत की सजा सुना दी गई।
दबाव में लिया गया कबूलनामा?
शहजादी के पिता का दावा है कि उनकी बेटी ने किसी भी तरह की हत्या नहीं की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कबूलनामा जबरदस्ती लिया गया था। लेकिन कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना और फांसी की सजा बरकरार रखी।
बेटी को बचाने की आखिरी कोशिश
पिता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने जेल से फोन कर बताया था कि उसे 20 सितंबर 2023 के बाद कभी भी फांसी दी जा सकती है। लेकिन उनकी अपील किसी काम नहीं आई और शहजादी को सजा दे दी गई।
अब उनके माता-पिता के पास सिर्फ उनकी यादें रह गई हैं।